Psalms 32

क्षमा प्राप्ति की आशीष

दाऊद का भजन मश्कील

1क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध
क्षमा किया गया,
और जिसका पाप ढाँपा गया हो*। (रोम. 4:7)
2क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म
का यहोवा लेखा न ले,
और जिसकी आत्मा में कपट न हो। (रोम. 4:8)

3जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते-कराहते मेरी हड्डियाँ
पिघल गई।
4क्योंकि रात-दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा;
और मेरी तरावट धूपकाल की सी झुर्राहट
बनती गई।
(सेला)

5जब मैंने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया,
और कहा, “मैं यहोवा के सामने अपने अपराधों को मान लूँगा;”
तब तूने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
(1 यूह.1:9)(सेला)
6इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय
में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है*।
निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तो भी
उस भक्त के पास न पहुँचेगी।

7तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा;
तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर
लेगा।
(सेला)
8मैं तुझे बुद्धि दूँगा, और जिस मार्ग में तुझे
चलना होगा उसमें तेरी अगुआई करूँगा;
मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूँगा
और सम्मति दिया करूँगा।

9तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और रास से रोकनी पड़ती है,
नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
10दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी;
परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है
वह करुणा से घिरा रहेगा।

11हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मनवालों
आनन्द से जयजयकार करो!

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